घमंडी मेढक और बैल
एक समय बात है। एक बैल बहुत प्यासा था। उसने एक तालाब देखा, वह पानी पीने के लिए तालाब में जल्दी से उतरा। जैसे ही वह पानी में उतरा, उसके खुर (पैर) के नीचे एक छोटा मेढक आ गया, जिससे कुचलकर मेढक मर गया।
एक बूढ़ा मेढक तालाब के मेढकों का मुखिया था। वह बहुत घमंडी था। वह खुद को सबसे बड़ा समझता था।
उसने दूसरे मेढकों से पूछा कि नन्हें मेढक का क्या हुआ?
“एक बहुत बड़े राक्षस ने उसे अपने विशाल पैरों से कुचल दिया,” उनमें से एक ने कहा!
“क्या वह इतना बड़ा था?” बूढ़े मेढक ने अपने पेट को फुलाते हुए कहा।
“ओह, बहुत बड़ा!” अन्य मेढक रोते हुए बोले।
बूढ़ा मेढक ने अपने पेट को और भी अधिक फुलाते हुए कहा, ”वह इससे बड़ा नहीं होगा।”
लेकिन सभी छोटे मेढकों ने जोर से कहा कि राक्षस बहुत बड़ा था।
बूढ़ा मेढक अपने आप को और अधिक फुलाता रहा।
आखिरकार उसका पेट फट गया, और वह मर गया।
शिक्षा: घमंड नहीं करना चाहिए। अपनी क्षमताओं को बढ़ा-चढ़ा कर नहीं बताना चाहिए।